भाषा एवं साहित्य >> साठोत्तरी हिन्दी उपन्यासों में राजनीतिक चेतना साठोत्तरी हिन्दी उपन्यासों में राजनीतिक चेतनापुष्पेन्द्र दुबे
|
2 पाठकों को प्रिय 190 पाठक हैं |
आज की राजनीति व्यवसाय में परिणत हो चुकी है । एक तरह से नेता और पूंजीपति इसमें शेयर बाजार की तरह रुपया निवेश करते हैं और विजयी होने पर उसका लाभांश मूल सहित अर्जित करते हैं
A PHP Error was encountered
Severity: Notice
Message: Undefined index: common
Filename: books/book_info.php
Line Number: 553
|
लोगों की राय
No reviews for this book